तो कैसे हो दोस्तों, आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसे टॉपिक पर जो हर म्यूचुअल फंड निवेशक के लिए बेहद जरूरी है लेकिन अक्सर इसे नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। जी हां दोस्तों, हम बात कर रहे हैं म्यूचुअल फंड्स में एक्सपेंस रेशियो (EXPENSE RATIO IN MUTUAL FUNDS) की। ये एक ऐसा पहलू है जो आपकी कमाई को धीरे-धीरे प्रभावित कर सकता है, और अगर आपने इस पर ध्यान नहीं दिया तो आपके रिटर्न पर इसका बड़ा असर पड़ सकता है।
क्या है एक्सपेंस रेशियो (EXPENSE RATIO)?
तो दोस्तों, एक्सपेंस रेशियो(EXPENSE RATIO) म्यूचुअल फंड्स का वो हिस्सा है जो फंड हाउस (ASSET MANAGEMENT COMPANY) आपके निवेश से चार्ज करता है, ताकि वे आपकी ओर से फंड को मैनेज कर सकें। इसमें फंड मैनेजर(FUND MANAGER) की सैलरी, रिसर्च टीम का खर्च, एडमिनिस्ट्रेशन, मार्केटिंग और बाकी सभी तरह के मैनेजमेंट खर्च शामिल होते हैं। अगर सीधे शब्दों में कहें तो ये एक छोटा सा प्रतिशत होता है जो आपकी निवेश की राशि से हर साल काट लिया जाता है।
अब सोचिए दोस्तों, अगर आपका फंड सालाना 12% का रिटर्न दे रहा है और उसका एक्सपेंस रेशियो 2% है, तो आपके हाथ में असल में सिर्फ 10% ही आएगा। यहीं से शुरू होती है स्मार्ट इन्वेस्टमेंट की असली कहानी।
एक्सपेंस रेशियो (EXPENSE RATIO) क्यों है इतना जरूरी?
दोस्तों, कई बार हम लोग म्यूचुअल फंड का चुनाव करते समय सिर्फ रिटर्न्स पर ध्यान देते हैं, लेकिन एक्सपेंस रेशियो(EXPENSE RATIO) को नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि लम्बे समय में एक्सपेंस रेशियो ही वो छोटा सा फर्क बन सकता है जो आपके लाखों रुपये बचा सकता है या खर्च करवा सकता है।
अगर आप दो फंड्स को देखें जिनके रिटर्न्स लगभग बराबर हैं लेकिन एक का एक्सपेंस रेशियो 0.5% है और दूसरे का 2.5%, तो दोस्तों, वही 2% का अंतर आपको 10-15 साल में हजारों या लाखों का फर्क दिखा सकता है। इसलिए दोस्तों, जब भी म्यूचुअल फंड में निवेश करें, तो सिर्फ रिटर्न नहीं, एक्सपेंस रेशियो को भी ध्यान से जांचें।
एक्टिव म्यूच्यूअल फंड्स(ACTIVE MUTUAL FUNDS) VS पैसिव म्यूच्यूअल फंड्स(PASSIVE MUTUAL FUNDS):
दोस्तों, म्यूचुअल फंड्स दो प्रकार के होते हैं – एक्टिव म्यूच्यूअल फंड्स(ACTIVE MUTUAL FUNDS)और पैसिव म्यूच्यूअल फंड्स(PASSIVE MUTUAL FUNDS)। एक्टिव फंड्स में फंड मैनेजर लगातार रिसर्च और एनालिसिस करता है, इसलिए इनके खर्च भी ज्यादा होते हैं और एक्सपेंस रेशियो भी। वहीं पैसिव फंड्स जैसे कि इंडेक्स फंड्स मार्केट इंडेक्स को ही फॉलो करते हैं और इनमें मैनेजमेंट कम होता है, इसलिए इनका एक्सपेंस रेशियो काफी कम होता है।
अगर आप एक लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर हैं और खर्च कम रखना चाहते हैं तो दोस्तों, पैसिव फंड्स एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं।
रेगुलेशन(REGULATION) और लिमिट्स(LIMITS):
SEBI ने भी दोस्तों निवेशकों के हित में एक्सपेंस रेशियो(EXPENSE RATIO) पर एक लिमिट लगाई है। एसेट अंडर मैनेजमेंट(ASSET UNDER MANAGEMENT) यानी AUM के आधार पर ये सीमा तय की जाती है। जैसे-जैसे फंड का साइज बढ़ता है, वैसे-वैसे एक्सपेंस रेशियो की सीमा घटती है। इससे निवेशकों को फायदा मिलता है और उनका रिटर्न बेहतर होता है।
गोल्डन रूल फॉर म्यूच्यूअल फंड्स – ” STAY INVESTED FOR LONG TERM“
दोस्तो, म्यूचुअल फंड्स उन लोगों के लिए होते हैं जो थोड़ी बहुत जोखिम उठाने को तैयार हैं और साथ ही लंबी अवधि (LONG TERM) में अच्छे रिटर्न की उम्मीद रखते हैं। अगर आप युवा हैं, आपके पास निवेश के लिए समय है और आप हर महीने थोड़ा-थोड़ा पैसा बचाकर निवेश कर सकते हैं, तो म्यूचुअल फंड आपके लिए एक दमदार विकल्प बन सकता है।एक बात का हमेशा ध्यान रखे, म्यूचुअल फंड में निवेश का गोल्डन रूल(GOLDEN RULE) है कि स्टे इनवेस्टेड फॉर लॉन्ग टर्म (STAY INVESTED FOR LONG TERM) । यानि आप जितने लम्बे समय तक म्यूच्यूअल फंड्स को होल्ड करेंगे,आपके फायदा होने का उम्मीद उतनी ही ज्यादा होती है।बस आपको लम्बे समय तक इनवेस्टेड(INVESTED) रहना है क्योकि लम्बे समय में शेयर मार्केट ऊपर ही जाता है।
उदहारण के तौर पे आप निफ्टी और सेंसेक्स का 5,10,15 या 20 साल के चार्ट को देखेंगे तो पाएंगे की ये ऊपर ही गया है यानि भले ही समय-समय पर शेयर मार्किट में गिरावट जरुर आती है लेकिन लम्बे अवधी में शेयर मार्केट ऊपर ही जाता है।
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जोखिम(RISK):
अगर आप यह सोच रहे है कि लार्ज कैप म्यूच्यूअल फंड्स(LARGE CAP MUTUAL FUNDS), मिड कैप म्यूचुअल फंड्स(MID CAP MUTUAL FUND) और स्माल कैप म्यूचुअल फंड्स(SMALL CAP MUTUAL FUND) में कौन सा ज्यादा जोखिम वाला है तो यह बता दे कि स्माल कैप वाला ज्यादा जोखिम भरा है| फिर आते है मिड कैप म्यूचुअल फंड्स और इन तीनो में सबसे सेफ होते है लार्ज कैप म्यूच्यूअल फंड्स(LARGE CAP MUTUAL FUNDS)।लेंकिन यह भी याद रखे की ज्यादा जोखिम है तो मुनाफा(RETURN) भी ज्यादा है। बस आपको लम्बे समय तक इनवेस्टेड(INVESTED) रहना है क्योकि लम्बे समय में शेयर मार्केट ऊपर ही जाता है।
निष्कर्ष(CONCLUSION):
तो दोस्तों, अगली बार जब आप म्यूचुअल फंड में निवेश करें तो सिर्फ उसके रिटर्न ग्राफ को न देखें। एक्सपेंस रेशियो की छोटी सी संख्या आपकी पूंजी(CAPITAL) पर बड़ा असर डाल सकती है। समझदारी इसी में है कि आप कम एक्सपेंस रेशियो वाले फंड्स में निवेश करें, खासकर जब बाकी सब पैरामीटर लगभग बराबर हों।
याद रखिए दोस्तों, निवेश करना सिर्फ पैसे लगाना नहीं है, बल्कि हर पहलू को समझकर सही निर्णय लेना भी है। और एक्सपेंस रेशियो उसी समझदारी का एक अहम हिस्सा है।
तो मिलते हैं अगले आर्टिकल में दोस्तों, तब तक समझदारी से निवेश करें और अपने पैसों को स्मार्ट तरीके से बढ़ाएं।
जरुरी सुचना
Moneycrypton.in वेबपोर्टल किसी भी तरह के निवेश पर जोर नहीं देता बल्कि सिर्फ जानकारी देता है।कृपया करके निवेश से पहले एक्सपर्ट की राय अवश्य लें। शेयर मार्केट और म्यूचुअल फंड में वित्तीय जोखिम शामिल है।